मेरी झोपड़ी के भाग आज खुल जाएँगे, राम आएँगे
मेरी झोपड़ी के भाग आज खुल जाएँगे, राम आएँगे
राम आएँगे, आएँगे, राम आएँगे
राम आएँगे, आएँगे, राम आएँगे
राम आएँगे तो अंगना सजाऊँगी
दीप जला के दीवाली मैं मनाऊँगी
मेरे जन्मों के सारे पाप मिट जाएँगे, राम आएँगे
राम झूलेंगे तो पालना झुलाऊँगी
मीठे-मीठे मैं भजन सुनाऊँगी
मेरी ज़िंदगी के सारे दुख मिट जाएँगे, राम आएँगे
मैं तो रुचि-रुचि भोग लगाऊँगी
माखन-मिश्री मैं राम को खिलाऊँगी
प्यारी-प्यारी राधे, प्यारे श्याम संग आएँगे, राम आएँगे
मेरा जन्म सफल हो जाएगा[1]
तन झूमेगा और मन गीत गाएगा
राम सुन्दर मेरी किस्मत चमकाएंगे, राम आएँगे
आज गली-गली अवध सजाएँगे
आज पग-पग पलक बिछाएँगे
आज सूखे हुए पेड़ फल जाएँगे
नैना भीगे-भीगे जाएँ, कैसे ख़ुशी ये छुपाएँ, राम आएँगे
कुछ समझ ना पाएँ, कहाँ फूल बिछाएँ, राम आएँगे
सरजू जल-थल, जल-थल रोई, जिस दिन राघव हुए पराए
ओ, बिरहा के सौ पर्बत पिघले, हे रघुराई, तब तुम आए
ये वही क्षण है निरंजन, जिसको दशरथ देख ना पाए
सात जन्मों के दुख कट जाएँगे
आज सरजू के तट मुस्काएँगे
मोर नाचेंगे, पपीहे आज गाएँगे
आज दसों ये दिशाएँ जैसे शगुन मनाएँ, राम आएँगे
जाके आसमानों से तारे माँग लाएँगे
कौशल्या के लल्ला जी, तुम्हीं पे सब लुटाएँगे
१४ साल जो रोके, वो आँसू अब बहाएँगे
अवध में राम आएँगे, हमारे